May 7, 202492 words
Published: May 7, 2024 | 92 words
Faiz Ahmed Faiz Poetry हम देखेंगेलाज़िम है कि हम भी देखेंगेवो दिन कि जिसका वादा हैजो लोह-ए-अज़ल में लिखा हैजब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गरांरुई की तरह उड़ जाएँगेहम महकूमों के पाँव तलेये धरती धड़-धड़ धड़केगीऔर अहल-ए-हकम के सर ऊपरजब बिजली कड़-कड़ कड़केगीजब अर्ज-ए-ख़ुदा के काबे से...
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